शिव आरती हिंदू धर्म में भगवान शिव की स्तुति और भक्ति के एक महत्वपूर्ण अंग के रूप में गाई जाती है। यह आरती शिव भक्तों द्वारा भगवान शिव की कृपा पाने और उनकी पूजा में शामिल होने के लिए की जाती है। शिव आरती को गाकर भगवान शिव की आराधना करना उन्हें प्रसन्न करने का एक सरल और प्रभावी तरीका माना जाता है। शिव आरती का गायन विशेष रूप से सोमवार और शिवरात्रि के दिन किया जाता है। आइए, भगवान शिव की आरती के बारे में विस्तार से जानें।
भगवान शिव कौन हैं?
भगवान शिव हिंदू धर्म के प्रमुख देवताओं में से एक हैं और उन्हें त्रिदेवों में से एक माना जाता है। त्रिदेवों में ब्रह्मा (सृष्टि के रचयिता), विष्णु (पालनहार), और शिव (संहारक) होते हैं। भगवान शिव को महाकाल, नीलकंठ, भोलेनाथ, और रूद्र जैसे कई नामों से जाना जाता है। वे सृष्टि के संहारक के रूप में जाने जाते हैं, लेकिन साथ ही वे पुनर्जीवन और जीवन के संरक्षण के देवता भी हैं।
शिव आरती का महत्व
शिव आरती का गायन भक्तों के लिए एक आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करता है। शिव आरती गाने से भक्तों को शांति, समृद्धि, और भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है। माना जाता है कि शिव आरती के माध्यम से भगवान शिव अपने भक्तों की मनोकामनाओं को पूरा करते हैं और उन्हें सभी प्रकार की बाधाओं से मुक्ति प्रदान करते हैं। शिव आरती को दिन में किसी भी समय गाया जा सकता है, लेकिन प्रातः और संध्या के समय इसे गाने का विशेष महत्व होता है।
शिव आरती के लाभ
- आध्यात्मिक शांति: शिव आरती के गायन से मन को शांति मिलती है और व्यक्ति का ध्यान भगवान शिव की ओर केंद्रित होता है।
- मनोकामनाओं की पूर्ति: भक्तों का विश्वास है कि शिव आरती से भगवान शिव उनकी मनोकामनाओं को पूरा करते हैं।
- नकारात्मक ऊर्जा का नाश: शिव आरती के नियमित गायन से नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है और घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
- कष्टों का निवारण: भगवान शिव की आराधना से जीवन में आने वाले कष्टों और समस्याओं का निवारण होता है।
शिव आरती के शब्द (Shiv Aarti Lyrics)
जय शिव ओंकारा
जय शिव ओंकारा, स्वामी ॐ जय शिव ओंकारा ।
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥ ॐ जय शिव…॥
एकानन चतुरानन पंचानन राजे ।
हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ॐ जय शिव…॥
दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे।
त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ जय शिव…॥
अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी ।
चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी ॥ ॐ जय शिव…॥
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे ।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥ ॐ जय शिव…॥
कर के मध्य कमण्डलु चक्र त्रिशूल धर्ता ।
जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥ ॐ जय शिव…॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।
प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका ॥ ॐ जय शिव…॥
काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी ।
नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी ॥ ॐ जय शिव…॥
त्रिगुण शिवजी की आरती जो कोई नर गावे ।
कहत शिवानंद स्वामी मनवांछित फल पावे ॥ ॐ जय शिव…॥
जय शिव ओंकारा हर ॐ शिव ओंकारा|
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव अद्धांगी धारा॥ ॐ जय शिव ओंकारा…॥
शिव आरती कब और कैसे की जाती है?
शिव आरती का आयोजन शिवालयों में प्रातः और संध्या को होता है। भक्तों को शिव आरती करते समय स्वच्छ और पवित्र वस्त्र धारण करने चाहिए। शिवलिंग के समक्ष दीप जलाकर और बेलपत्र, धतूरा, और जल अर्पित करते हुए शिव आरती गाई जाती है। भक्त आरती की थाली में दीपक, फूल, और प्रसाद रखते हैं, और शिव आरती के दौरान इनका उपयोग करते हैं।
शिव आरती के लिए आवश्यक सामग्री
- आरती की थाली
- दीपक (घी का या तेल का)
- कपूर
- फूल (विशेष रूप से बेलपत्र)
- प्रसाद (पंचामृत, फल आदि)
- घंटी
शिव आरती के साथ ध्यान के महत्वपूर्ण टिप्स
- ध्यान केंद्रित करें: शिव आरती के दौरान मन को शांत रखें और भगवान शिव के स्वरूप का ध्यान करें।
- आवाज मधुर रखें: शिव आरती को गाते समय आवाज को मधुर और स्थिर रखें। यह वातावरण को पवित्र और शांतिपूर्ण बनाता है।
- समर्पण भाव: शिव आरती करते समय पूरी भक्ति और श्रद्धा के साथ भगवान शिव के चरणों में अपना समर्पण भाव व्यक्त करें।
- स्वच्छता का ध्यान रखें: शिव आरती से पहले अपने शरीर और मन को शुद्ध करने का प्रयास करें। स्नान करके और पवित्र वस्त्र धारण करके ही आरती में शामिल हों।
निष्कर्ष
शिव आरती भगवान शिव की महिमा का गुणगान करने और उनकी कृपा प्राप्त करने का एक सशक्त माध्यम है। भगवान शिव की आराधना करने से भक्तों को आत्मिक शांति, समृद्धि और मनोवांछित फल प्राप्त होते हैं। इस आरती को श्रद्धा और भक्ति से गाना ही भगवान शिव की कृपा पाने का सबसे सरल उपाय है।